फूलों की गुलस्ता मेरे सामने पलके बिछाए रहा। मैं ही बुद्धु था जो सुखी डाली के लिए जुगनू बन घुमाता रहा।
फूलों को मैंने काटें से किलाबंदी कर दिया। तो बंदी का शिकवा कर के भवारों से नाता जोड़ लिया
आग लगा दो उस डिग्री को। एक ही तो दिल है मेरा ओ भी तुमसे पढ़ा नही जा रहा है
ओ तन्हाई किस काम का जिसमे तेरी याद न हो। और ओ पुरानी pic किस काम का जिसका नजारा सरयाम न हो
खुदा का शुक्रगुजार है; उसने दिल में न सही दिमाग में तो जगह दे दी है
लोग आखों आखों में देखकर दिल की बात समझ लेते है; सपनों मे मिलकर मुलाकात समझ लेते है। अरे रोते तो धरती के लिए आसमां भी है; लेकिन लोग उसे बरसात समझ लेते है।
हर कुछ बयां करने वाली लब्ज भी;कुछ खास पल पे खामोश हो जाता है।
नजरों और बातों की जंग में ये दिल तेरी सादगी पे मदहोश हो जाता है
हम तो तेरी सादगी पे पुस्तक ही लिख दूं; पर मेरे ख्यालों के आगे पुस्तक का हर पन्ना कम पड़ जाता है
तुझे पाने की कोशिश मे इतना सब कुछ खो चुका हूं कि
तु मिल भी गए तो तुझे पाने का गम होगा
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